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परिचय
गर्भावस्था खुशी से भरी एक खूबसूरत यात्रा है। हालाँकि, भावी माता-पिता भी अपने अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में चिंता का अनुभव कर सकते हैं। इन चिंताओं को दूर करने के लिए, क्रोमोसोमल विकरों की जोखिम या रिस्क का पता करने के लिए कई प्रकार के टेस्ट उपलब्ध हैं। ऐसा ही एक परीक्षण डबल मार्कर टेस्ट ( Double Marker Test ) है, जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इस व्यापक मार्गदर्शिका में, हम डबल मार्कर परीक्षण, इसके महत्व, इसमें शामिल प्रक्रिया और इसके लाभ हिन्दी मे ( Double Marker Test in Hindi ) जानेंगे।
डबल मार्कर टेस्ट क्या है? ( What is Double Marker Test?, Double Marker test means)
डबल मार्कर टेस्ट, प्रेग्नसी मे किया जाणे वाला एक टेस्ट है जो माँ के गर्भ में बढणे वाले बच्चे मे कुछ क्रोमोसोमल विकर ( जैसे की डाउन्स सिंड्रोम )की जोखिम या रिस्क की पहचान करने में मदद करता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 11 से 14 सप्ताह के बीच किया जाता है। यह परीक्षण दो प्रमुख मापदंडो को जोड़ता है: गर्भवती महिला की उम्र और गर्भवती महिला के रक्त में मौजूद विशिष्ट जैव रासायनिक घटक।
क्रोमोसोमल विकार क्या है? (What is Chromosomal Anomalies)
क्रोमोसोमल विकार मे इन्सान के शरीर के गुणसूत्रों मे विभिन्न प्रकार के बदलाव होते है,जिससे विविध विकार होते है जैसे की डाउन्स सिंड्रोम, ट्रायसोमी १८, ट्रायसोमी २१. इन विकारों मे बच्चा मानसिक रुप से मंद होता है और बच्चे का शारीरिक विकास नॉर्मल नाही होता।
प्रेग्नन्सी मे बच्चे मे क्रोमोसोमल विकारो की रिस्क कितनी रेहती है? (What is the Risk of Chromosomal anomalies in Pregnancy?)
क्रोमोसोमल विकरो की रिस्क माँ के उम्र से जोडी जाती है. सबसे कम उम्र की माता में 500 बच्चो मे 1 बच्चे को, 30 वर्ष की आयु की माता में लगभग 270 बच्चो मे 1 बच्चे को, 35 वर्ष की आयु में 80 बच्चो मे 1 बच्चे को, 40 वर्ष की आयु में 60 बच्चो मे 1 बच्चे को, और 45 वर्ष की आयु में 20 बच्चो मे 1 बच्चे को क्रोमोसोमल विकार होणे की संभावना होती है. (Reference: National Library of Medicine)
डबल मार्कर टेस्ट क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is the Double Marker Test Important?)
डबल मार्कर टेस्ट क्रोमोसोमल विकारो, विशेष रूप से डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21) और एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18) की रिस्क या जोखीम होणे वाले बच्चे मे कितनी है इसका पता लागणे के लिए एक महत्वपूर्ण टेस्ट है। अगर होणे वाले बच्चे मे क्रोमोसोमाल विकारोंकी रिस्क ज्यादा है तो इन स्थितियों मे क्रोमोसोमल विकारोंका निदान करणे के लिये कुछ और टेस्ट जैसी की कोरिओनिक व्हीलस सॅम्पलिंग, अम्नीओसेन्टेसिस (chorionic villus sampling, amniocentesis) टेस्ट करणे की जरुरत होती है. अगर ईन टेस्ट मे बच्चे को क्रोमोसोमाल विकार का निदान होता है तो ऐसे बच्चे का गर्भापात करणे का या बच्चा गिराने का विकल्प माता पिता के पास होता है.
डबल मार्कर टेस्ट पर किसे करना चाहिए? (Who Should Consider the Double Marker Test?)
सभी गर्भवती महिलाओं के लिए डबल मार्कर टेस्ट की सिफारिश की जाती है, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो। हालाँकि, यह विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए सलाह दी जाती है।
- जीन महिलाओ की उम्र 35 वर्ष या अधिक है।
- जीन महिलाओ को क्रोमोसोमल विकार वाल पिछला बच्चा है।
- जिस महिला के परिवार मे आनुवंशिक विकारों का पिछला इतिहास है।
- बच्चे की १ २ हफ्ते की अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी पर कुच असामान्य निष्कर्ष आया है।
डबल मार्कर टेस्ट कैसे किया जाता है? (How is the Double Marker Test Performed?)
डबल मार्कर परीक्षण में मां की बांह से साधारण रक्त निकालना शामिल होता है। फिर रक्त का नमूना एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां दो पदार्थों के स्तर को मापने के लिए इसका विश्लेषण किया जाता है: ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin : hcg) और प्रेग्नन्सी असोशिएटेड प्लाज्मा प्रोटीन-ए (pregnancy associated plasma protein A: PAPA A)। माँ के उम्र के साथ इन मार्करों का उपयोग क्रोमोसोमल विकारों की रिस्क पता करने के लिए किया जाता है।
डबल मार्कर टेस्ट के परिणामों को समझना (Understanding the Double Marker Test Report)
डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम आमतौर पर रिस्क स्कोर या संभावना के रूप में प्रदान किए जाते हैं। कम रिस्क स्कोर वाला परिणाम बच्चे में क्रोमोसोमल विकार होने की कम संभावना को दर्शाता है। इसे रिपोर्ट मे लो रिस्क या स्क्रीन निगेटिव ( Low Risk or Screen Negative) ऐसे रिपोर्ट मे दर्शाते है। जबकि ज्यादा जोखिम वाला परिणाम हाय रिस्क यास्क्रीन पॉसिटिव ( High Risk or Screen Positive) ऐसे रिपोर्ट मे दर्शाते है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि डबल मार्कर परीक्षण एक निश्चित निदान नहीं करता है, लेकिन ज्यादा रिस्क वाले गर्भकी पहचान करने में मदद करता है। हाय रिस्क या स्क्रीन पॉसिटिव (High Risk or Screen Positive) रिपोर्ट के लिए आगे के परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) या एमनियोसेंटेसिस। कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) या एमनियोसेंटेसिस यह टेस्ट क्रोमोसोमल विकारों का निश्चित निदान करते है।
डबल मार्कर टेस्ट करने के फायदे (Benefits of the Double Marker Test)
डबल मार्कर टेस्ट भावी माता-पिता को कई लाभ प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:
– प्रारंभिक पहचान: डबल मार्कर टेस्ट प्रेग्नन्सी के प्रारंभिक चरण में क्रोमोसोमल विकारों के ज्यादा रिस्क वाले गर्भ की पहचान कर सकता है, जिससे माता-पिता को आगे के टेस्ट और टेस्ट पॉसिटिव आने पर गर्भ के बारे में निर्णय लेने मे मदत मिलती है।
– नॉन इनव्यासीव ( Noninvasive) : डबल मार्कर परीक्षण एक नॉन इनव्यासीव (बिना कोई चीर फाड़ किए) टेस्ट है जिससे माँ या बच्चे के लिए कोई खतरा नहीं होता है।
– इनव्यासीव (Invasive test) की कम आवश्यकता: कम जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान करने से, अनावश्यक इनव्यासीव (Invasive test), जैसे अम्नीओसेन्टेसिस और कोरिओनिक व्हीलस सॅम्पलिंग (amniocentesis and chorionic villus sampling ) को कम करने में मदद करता है। इनव्यासीव (Invasive test) से माँ और गर्भ मे कॉम्पलिकेशन होने का रिस्क ज्यादा रेहता है।
– मानसिक समाधान: डबल मार्कर परीक्षण से कम रिस्क वाला परिणाम प्राप्त करने से भावी माता-पिता को भावनात्मक आश्वासन मिलता है और संभावित क्रोमोसोमल विकारों के बारे में चिंता कम होती है।
निष्कर्ष
डबल मार्कर टेस्ट एक उपयोगी नॉन इनव्यासीव ( Noninvasive) टेस्ट है जो विकासशील गर्भ में क्रोमोसोमल विकारों की रिस्क पता करने में मदद करता है। माँ की उम्र और विशिष्ट जैव रासायनिक मार्करों को मिलाकर, यह टेस्ट महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है जो भावी माता-पिता को आगे के इनव्यासीव टेस्ट (Invasive test) करने के लिए और टेस्ट पॉसिटिव आने पर गर्भ के बारे में निर्णय लेने मे मदत करता है। व्यक्तिगत गर्भावस्था के संदर्भ में डबल मार्कर टेस्ट के लिए अपने डॉक्टर या गायनेकोलोजीस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डबल मार्कर टेस्ट करने के लिए कितने पैसे लगते है? (Double Marker Test Price)
भारत मे डबल मार्कर टेस्ट करने के चार्जेस अभी के समय पर 1500 रुपये से लेकर 2500 रुपये तक होते है।
गर्भावस्था के दौरान डबल मार्कर टेस्ट करने का आदर्श समय क्या है?
डबल मार्कर टेस्ट आमतौर पर गर्भावस्था के 11 से 14 सप्ताह के बीच किया जाता है।अच्छे परिणाम सुनिश्चित करने के लिए इस समय सीमा के भीतर परीक्षण निर्धारित करना महत्वपूर्ण है।
क्या डबल मार्कर टेस्ट माँ और बच्चे के लिए सुरक्षित है?
हां, डबल मार्कर टेस्ट मां और बच्चे दोनों के लिए सुरक्षित माना जाता है। यह एक नॉन इनव्यासीव ( Noninvasive) प्रक्रिया है जिसमें गर्भपात या अन्य कॉम्पलीकेशन की कोई जोखिम नहीं होता है।
क्रोमोसोमल विकारों का पता लगाने में डबल मार्कर परीक्षण कितना सटीक या परिणामकारक है?
डबल मार्कर टेस्ट होने वाले बच्चे में डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21) और एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18) होने की सिर्फ रिस्क का पता लगाने मे मदत करता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये टेस्ट इन विकारों का निश्चित निदान नाही करता। निश्चित निदान करने के लिए आगे के इनव्यासीव टेस्ट (Invasive test), जैसे की एमनियोसेंटेसिस या सीवीएस की आवश्यकता हो सकती है।
क्या डबल मार्कर परीक्षण शिशु का लिंग निर्धारित कर सकता है?
नहीं, डबल मार्कर परीक्षण शिशु के लिंग का निर्धारण नहीं करता है। इसका प्राथमिक उद्देश्य गुणसूत्र संबंधी विकारों के जोखिम का आकलन करना है
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