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परिचय:
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट (Quadruple Marker Test) गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान सुझाए गए टेस्ट में से एक है। Quadruple Marker Test in Hindi इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट क्या है, यह कब किया जाता है, यह क्यों महत्वपूर्ण है, टेस्ट के परिणाम और टेस्ट में शामिल प्रक्रिया क्या है?
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट क्या है? (What is the Quadruple Marker Test?)
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट, जिसे क्वाड स्क्रीन या क्वाडरूपल स्क्रीन के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसवपूर्व (जन्म से पहले) स्क्रीनिंग टेस्ट है जो गर्भावस्था के 15 वें और 20 वें सप्ताह के बीच किया जाता है। यह एक रक्त टेस्ट है जो बच्चे में जन्म दोष होने की संभावना निर्धारित करता है। इस टेस्ट में मां के रक्त में सें चार विशिष्ट पदार्थों के स्तर का आकलन किया जाता है। चूँकि यह चार पदार्थों के स्तर का आकलन करता है इसलिए इसे क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट कहा जाता है। (क्वाड याने चार)
इस टेस्ट मे नीचे दिए गए चार मार्कर के स्तर का आकलन करते हैं:
1. अल्फा-फिटोप्रोटीन (Alpha Fetoprotein-AFP):
– शिशु का लीवर अल्फा-फिटोप्रोटीन नामक प्रोटीन का उत्पादन करता है।
– अल्फा-फिटोप्रोटीन का असामान्य स्तर स्पाइना बिफिडा (Spina Bifida) जैसे न्यूरल ट्यूब दोष (Neural Tube Defect) के बढ़ते जोखिम का संकेत देता है।
2. ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (Human Chorionic Gonadotropin-hCG):
– एचसीजी एक हार्मोन है जो प्प्लासेंटा (वह भाग जो बढ़ते बच्चे को रक्त की आपूर्ति करता है) द्वारा निर्मित होता है।
– एचसीजी का असामान्य स्तर डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) सहित क्रोमोसोमल असामान्यताओं (Chromosomal Abnormalities) के उच्च जोखिम का संकेत देता है।
3. ईस्ट्रिऑल: (Estriol)
– ईस्ट्रिऑल एक हार्मोन है जो शिशु और प्प्लासेंटा दोनों द्वारा निर्मित होता है।
– ईस्ट्रिऑल का बढ़ा हुवा स्तर क्रोमोसोमल असामान्यताओं और अन्य जटिलताओं से जुड़ा हो सकता है।
4. इनहिबिन-ए: (Inhibin-A)
– इनहिबिन-ए प्लेसेंटा द्वारा निर्मित एक हार्मोन है।
– ऊंचा स्तर क्रोमोसोमल असामान्यताओं के बढ़ते जोखिम का संकेत देता है।
इस टेस्ट मे निम्नलिखित घटकों पर भी विचार कीया जाता है:
- माँ की उम्र
- माँ की अनुवांशिक पार्श्वभूमी
- माँ का वजन
- शिशु की गर्भकालीन आयु (अंतिम मासिक धर्म के दिन से लेकर वर्तमान तक के हफ्तों में गणना की जाती है।)
क्रोमोसोमल असामान्यताएं क्या हैं? (What are Chromosomal Abnormalities?)
मानवी कोशिका (The Human Cell)
मानव शरीर एक बड़ी पहेली की तरह है जो छोटे-छोटे टुकड़ों से बनी है जिन्हें कोशिकाएँ कहा जाता है। ये कोशिकाएँ छोटे बिल्डिंग ब्लॉक्स की तरह हैं जो हमारे शरीर में सब कुछ काम करते हैं। हमारे शरीर में बहुत सारी कोशिकाएँ हैं, उनकी संख्या लगभग 37 ट्रिलियन है! ये कोशिकाएँ आकार में भिन्न-भिन्न होती हैं, कुछ सूक्ष्म, जैसे लाल रक्त कोशिकाएँ, और अन्य बड़ी, जैसे मांसपेशी कोशिकाएँ, लेकिन औसतन, अधिकांश कोशिकाएँ धूल के एक कण के आकार की होती हैं। एक कोशिका के भीतर, केंद्रक सहित विभिन्न सेलुलर अंग होते हैं, जिनमें क्रोमोसोम होते हैं।
गुणसूत्र(Chromosomes)
कोशिका के केंद्रक में धागे जैसी संरचनाएं होती है, जिन्हें गुणसूत्र (Chromosomes) कहा जाता है। गुणसूत्र आनुवंशिक जानकारी कोशिकाओं में संग्रहीत करते है। गुणसूत्र वंशानुक्रम और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक आनुवंशिक जानकारी पोहचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनमें जीन होते हैं, जो डीएनए के टुकड़े होते हैं, और किसी व्यक्ति के लक्षण निर्धारित करते हैं, जिसमें शारीरिक विशेषताएं और कुछ बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता शामिल होती है। मनुष्य में आमतौर पर 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो क्रोमोसोम हमारी कोशिकाओं के अंदर छोटी निर्देश पुस्तिकाओं की तरह होते हैं। वे हमारे शरीर को बताते हैं कि कैसे बढ़ना है, हमारी आंखें और बाल किस रंग कैसे होंगे, और बहुत सी अन्य चीजें जो हमें बनाती हैं। इन्हें विशेष कोड के रूप में समझे जो हममें से प्रत्येक को एक दूसरे से अलग बनाते हैं!
क्रोमोसोमल असामान्यताएं (Chromosomal Abnormalities)
क्रोमोसोमल असामान्यताएं (Chromosomal Abnormalities) किसी व्यक्ति के गुणसूत्रों की सामान्य संरचना या गुणसूत्रों की संख्या से विचलन हैं। ये असामान्यताएं कोशिका विभाजन के दौरान त्रुटियों के परिणामस्वरूप हो सकती हैं, जिससे डाउन सिंड्रोम, टर्नर सिंड्रोम या क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं। ये स्थितियाँ बच्चे की शारीरिक और बौद्धिक विकास को प्रभावित करती हैं।
सरल शब्दों में कहें तो क्रोमोसोमल असामान्यताएं हमारे शरीर के निर्देश पुस्तिका (डीएनए) में गलतियों की तरह हैं। कभी-कभी, जब कोशिकाएं विभाजित हो रही होती हैं, तो चीजें गलत हो जाती हैं, और हमारे पास इस मैनुअल के अतिरिक्त या कम हिस्से रह जाते हैं। यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है और हमारे शरीर के बढ़ने और काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है, जिससे डाउन सिंड्रोम या टर्नर सिंड्रोम जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is the Quadruple Marker Test in Pregnancy Important?)
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट मुख्य रूप से क्रोमोसोमल विसंगतियों जैसे डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21), एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18), और न्यूरल ट्यूब दोष की जांच करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट एक स्क्रीनिंग टेस्ट है। यह क्रोमोसोमल असामान्यताएं होने के जोखिम के बारे में बताता है, यानी ज्यादा रिस्क या कम रिस्क। ज्यादा रिस्क परिणाम के मामले में, निश्चित निदान के लिए एमनियोसेंटेसिस ( Amniocentesis) या कोरियोनिक विलस सैंपलिंग ( Chorionic Villus Sampling) जैसे आगे के टेस्ट की आवश्यकता होती है। संभावित विकारों का शीघ्र पता लगाने से माता-पिता अपनी गर्भावस्था के बारे में सूचित निर्णय ले पाते हैं और डॉक्टरों को विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गर्भावस्था देखभाल योजना बनाने में मदत मिलती है।
टेस्ट प्रक्रिया: (Quadruple Marker Test Process)
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट एक सरल रक्त टेस्ट है। इस टेस्ट मे गर्भवती माँ के हाथ से खून का सैम्पल लिया जाता है। फिर चार मार्करों के स्तर को मापने के लिए रक्त के नमूने का प्रयोगशाला में विश्लेषण किया जाता है। परिणाम आम तौर पर 2 सप्ताह के भीतर दिए जाते हैं।
परिणामों की व्याख्या करना: (Interpreting Results)
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट के परिणामों को समझने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अपेक्षित माता-पिता के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है। सामान्य परिणाम आश्वासन प्रदान करते हैं, जबकि असामान्य परिणाम संभावित मुद्दों की पुष्टि करने या उन्हें दूर करने के लिए अतिरिक्त टेस्ट, जैसे एमनियोसेंटेसिस या कोरियोनिक विलस सैंपलिंग, जैसे टेस्ट करने की सलाह देते हैं। परिणाम स्क्रीन पॉजिटिव या स्क्रीन नेगेटिव के रूप में पढ़े जाते हैं। कभी-कभी परिणाम उच्च जोखिम या कम जोखिम के रूप में पढ़े जाते हैं।
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट किसे करना चाहिए? (Who Should Do the Quadruple Marker Test?)
स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा आमतौर पर हर गर्भावस्था में क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट की सलाह दी जाती है। अधिक लागत के कारण हर माता पिता के लिए यह टेस्ट कराना संभव नहीं है। लेकिन जिन जोड़ों में क्रोमोसोमल असामान्यताओं के लिए निम्नलिखित उच्च जोखिम कारक हैं, उन्हें निश्चित रूप से इस पर विचार करना चाहिए।
- जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान 35 वर्ष से अधिक उम्र की हैं
- मधुमेह के इलाज के लिए महिलाएं इंसुलिन ले रही हैं
- जन्म दोषों के पारिवारिक इतिहास वाली महिलाएं
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट मूल्य (Quadruple Marker Test Price)
भारत में क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट की लागत व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है, जो स्वास्थ्य देखभाल सुविधा, स्थान और शामिल अतिरिक्त सेवाओं के आधार पर लगभग ₹3,000 से ₹6,000 या अधिक तक हो सकती है। सटीक और अद्यतन मूल्य निर्धारण जानकारी के लिए विशिष्ट क्लीनिकों या अस्पतालों से जांच करना उचित है।
निष्कर्ष:
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट आधुनिक प्रसवपूर्व देखभाल में एक महत्वपूर्ण टेस्ट है, जो विकासशील भ्रूण के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है। हालांकि यह निश्चित उत्तर नहीं दे सकता है, लेकिन यह स्वस्थ गर्भावस्था की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कार्य करता है। भावी माता-पिता को अपने डॉक्टर के साथ टेस्ट पर चर्चा करके इस टेस्ट करने के बारे मे निर्णय लेना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट क्या है? (What is Quadruple Marker Test?)
क्वाड्रपल मार्कर टेस्ट एक विशेष रक्त परीक्षण है जिसे गर्भवती महिलाओंमे यह जांचने के लिए कीया जात हैं कि क्या उनके बच्चे को कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह तब किया जाता है जब माँ लगभग 15 से 20 सप्ताह की गर्भवती हो। यह परीक्षण माता-पिता को यह जानने में मदद कर सकता है कि क्या उनके बच्चे के शरीर में कोई समस्या हो सकती है। इससे डॉक्टरों और नर्सों को माँ और बच्चे की बेहतर देखभाल की योजना बनाने में भी मदद मिलती है।
कौन सा टेस्ट बेहतर है: डबल मार्कर या क्वाडरूपल टेस्ट?(Which is better: double marker or quadruple test?)
डबल मार्कर टेस्ट एक प्रसव पूर्व जांच है जो दो मार्करों, पीएपीपी-ए और बीटा-एचसीजी का आकलन करता है, जो डाउन सिंड्रोम के जोखिम के बारे में जानकारी प्रदान करता है। दूसरी ओर, क्वाडरूपल टेस्ट, डबल मार्कर टेस्ट के अलावा, इनहिबिन ए सहित चार मार्करों का मूल्यांकन करता है, जो अधिक व्यापक रुप से क्रोमोसोमल विसंगतियों जैसे डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21), एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18), और न्यूरल ट्यूब दोष की जोखिम के बारे में जानकारी प्रदान करता है। डबल मार्कर टेस्ट गर्भावस्था के 11वें से 14वें सप्ताह में किया जाता है जबकि क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट गर्भावस्था के 15 से 20 सप्ताह में किया जाता है।
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट की लागत क्या है? (What is the Quadruple Marker Test Cost?)
भारत में क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट की लागत व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है, जो वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधा, स्थान और अतिरिक्त सेवाओं के आधार पर लगभग ₹3,000 से ₹6,000 या अधिक तक हो सकती है।
क्या गर्भावस्था में क्वाड्रुपल टेस्ट जरूरी है? (Is a Quadruple test necessary in pregnancy?)
गर्भावस्था में क्वाड्रूपल टेस्ट सख्ती से आवश्यक नहीं है, लेकिन अक्सर अधिक व्यापक प्रसवपूर्व जांच के लिए इसकी सिफारिश की जाती है। यह व्यापक रुप से क्रोमोसोमल विसंगतियों जैसे डाउन सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 21), एडवर्ड्स सिंड्रोम (ट्राइसॉमी 18), और न्यूरल ट्यूब दोष की जोखिम के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
क्वाडरूपल मार्कर टेस्ट करने का सबसे अच्छा समय कब है?
क्वाड्रुपल टेस्ट करने का सबसे अच्छा समय गर्भावस्था के 15वें और 20वें सप्ताह के बीच है। यह समय क्रोमोसोमल असामान्यताओं और न्यूरल ट्यूब दोषों के लिए विभिन्न मार्करों का सटीकता से आकलन करने के लिए सबसे अच्छा समय है।
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